कुछ अपने तो अपना होना भूल गए
प्रतियोगिता हेतु
भूल गए।
धागे में चाहत के फूल पिरोना भूल गये।
कुछ मेरे अपने तो अपना होना भूल गये।।
अपना फर्ज निभाने में जो दुनिया छोड़ गया।
उसके बच्चे अपना खेल खिलौना भूल गये।।
एक समंदर दिल के अंदर अपने पाला है।
इतने ग़म पाले हैं हमने रोना भूल गये।।
दिल को पढ़ने में , दीवाने ऐंसे खोए थे।
पढ़ते पढ़ते राज-ए- दिल का कोना भूल गये।।
खेतों पर इल्जाम लगाने से अब क्या होगा।
सही वक़्त पर आप खेत ही होना भूल गये।।
सपने ने आंखों को उनकी बरबस बंद किया।
वो फूलों का अपना यार बिछौना भूल गये।।
आंखों के जादूगर रावत दिल में यूं उतरे।
दुनिया के जादूगर जादू टोना भूल गये।।
रचनाकार
भरत सिंह रावत भोपाल
7999473420
9993685955
Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
12-Oct-2021 10:13 PM
Thanks
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Kavita Gautam
06-Oct-2021 06:04 AM
बेहतरीन
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Raushan
05-Oct-2021 11:09 AM
Bahut hi Sundar Sir
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